यह सूरः मक्की है, इस में अरबी के 738 अक्षर, शब,
88 आयतें और 5 रूकुअ हैं.
’’
अल्लाह का नाम लेकर शुरू करता हूँ, जाे बड़ा मेहरबान,
निहायत रहम करने वाला (असीम कृपालु महादयालु) हैŸ।
1- साद, कसम है! कुआर्न की जाे नसीहत देने वाला
हैŸ।
2- मगर जिन्हाेंने इन्कार किया, वे गर्व और विराेध में
पड़े हुए हैं।
अनुवाद
सुरतुसाद्
3- ’हमने’ उनसे पहले कितने ही गिराेहाें (उम्मताें) काे
हलाक (विनष्ट) कर डाला, ताे वे पुकार उठे ! और वह समय
बचने का न था।
4- और उन लाेगाें ने आश्चर्य किया कि उन ही में का
एक डराने वाला आया, और काि\राें ने कहा, ‘’यह जादूगर
है बड़ा झूठा;
5- क्या उसने इतने मअबूदाें (उपास्याें) काे हटा कर
एक ही मअबूद बना दिया? यह ताे बड़े अचम्भे की चीμज
हैŸ।‘’
6- और उनमें के कितने ही सरदार यह कहकर चल
पड़े, ‘’चलते रहाे और अपने उपास्याें पर जमे रहाे (यह बात
जाे मुहम्मद समझाता है), बेशक इसमें इसका कुछ इरादा
है।‘’
7- यह बात ताे ’हमने’ पिछले धर्म में सुनी ही नहीं, यह
ताे बस मनगढ़त है।
8- क्या हममें से चुनकर इसी पर नसीहत (की किताब)
उतरी है? बल्कि ये ’मेरी’ नसीहत के बारे में सन्देह में हैं,
बल्कि उन्हाेंने अभी तक ’मेरे’ अμजाब का मμजा चखा ही नहीं
है।
9- क्या तुम्हारे, ’उस’ μजबर्दस्त और बख्शने वाले रब
की रहमत (दयालुता) के खजाने उनके पास हैं;
10- या आसमानाें और μजमीन में, और जाे कुछ उनके
बीच है, उन सब पर बादशाही उन्हीं की है? ि\र ताे चाहिए
कि रस्सियाें के μजरिये (आसमानाें पर) चढ़ जाएँ!
11- यहाँ हारे हुए लश्कराें में से, यह भी एक लश्कर हैŸ।
12- इनसे पहले नूह की काै , और आद, और मेंखाें
वाले, िμ\रऔन, ने भी झुठलाया था;
13- और समूद, और लूत की काै , और ऐका‘ वाले
(बन वाले) भी- यही वे गिराेह हैं-
14- इनमें से हर एक ने रसूलाें काे झुठलाया, ताे
’हमारा’ अμजाब उन पर लागू हाे गया;
15- और इन्हें ताे बस एक चीख का इन्तिजार है,
जिसके बाद μजरा-सा भी माैका न मिलेगा।
16- और कहते हैं, ऐ हमारे रब! हिसाब के दिन से
पहले ही हमारा हिस्सा जल्द हमें दे दे।‘
17- (ऐ नबी) यह जाे कुछ कहते हैं सब्र से काम
लीजिए और जाेर व शक्ति वाले दाऊद काे याद कीजिए (ि\र
भी), बेशक वह (अल्लाह की ओर) रूजूअ करने वाले थे;
18- ’हमने’ पहाड़ाें काे उनके कब्जे में कर रखा था कि
सुबह-शाम उनके साथ तस्बीह करते थे,
19- और परिन्दे काे भी जमा रखते थे, सब उनके
\रमाँबरदार थेŸ।
20- और ’हमने’ उनके राज्य काे मμजबूत कर दिया था
और उनकाे हिकमत (तत्वदर्शिता) और ैसला करने की
याेग्यता दी थी।
21- और क्या तुम्हें उन झगड़ने वालाें की ख़बर पहुंची
है? जब वे दीवार पर चढ़ कर मेहराब में आ पहुँचे;
22- जब वे दाऊद के पास पहुंचे ताे वे उनसे सहम
र्गये, उन्हाेंने कहा, ‘’डरिए नहीं, हम दाे विवादी हैं, हम में से
एक ने दूसरे पर μज्यादती की है; ताे आप हमारे बीच ठीक-
ठीक ैसला कर दीजिए, और बात काे दूर न डालिए, और
हम काे सीधी राह बता दीजिए;
23- यह मेरा भाई है, इसके पास निन्नानवे भेड़ें हैं, और
मेरे पास एक ही भेड़ है, अब इसका कहना है कि ’अपनी भेड़
भी मुझे साैंप दे’ और बात-चीत में इसने मुझे दबा लिया।
.24- उन्हाेंने कहा, ‘’बेशक यह तु पर जुल्म करता है
कि तुम्हारे भेड़ अपनी भेड़ाें से मिलाने के लिए तु से मांग
करता है, और बहुत से साथ मिल कर रहने वाले एक दूसरे
पर μज्यादती करते हैं, सिवाय उन (लाेगाें) के जाे ई ान लाए
और भले काम किये, किन्तु ऐसे लाेग घाेड़े ही हाेते हैं।‘ और
दाऊद समझ गये कि ’हमने’ उन्हें इम्तिहान में डाला है, ताे
उन्हाेंने अपने रब से माी मांगी और झुक कर (सज्दे में)
गिर गये और रूजूअ हुए;
25- ताे ’हमने’ उनकाे मा\ कर दिया, और बेशक
’हमारे’ पास उनकी निकटता और अच्छा ठिकाना है।
26- ‘ऐ दाऊद! ’हमने’ μजमीन में आप काे ख़लीμा
(उत्तराधिकारी) बनाया है, ताे लाेगाें के बीच हक के साथ
ैसला किया करिये और अपनी इच्छा पर न चलिए कि वह
आपकाे अल्लाह की राह से भटका दे; जाे लाेग अल्लाह की राह
से भटकते हैं, उन के लिए कड़ी सμजा है, क्याेंकि उन्हाेंने
हिसाब के दिन काे भुला दिया?
27- और ’हमने’ आसमान और μजमीन काे और जाे
कुछ उनके बीच है, उनकाे बेकार नहीं पैदा किया है, यह उन
का गु ान है जिन्हाेंने इन्कार किया, ताे ऐसे इन्कार करने
वालाें के लिए आग (जहन्नम) की तबाही है।
28- या हम उन लाेगाें काे जाे ई ान लाए और नेक मग
किये, क्या हम उनकाे उनके समान कर देंगे जाे जमीन में
\साद बरपा करते हैं, या हम परहेμजगाराें काे ाजिराें
(दुराचारियाें) जैसा कर देंगे?
29- यह एक बरकत वाली किताब है, जिसे ’हमने’
तुम्हारी ओर नािμजल (अवतरित) किया है, ताकि लाेग इसकी
आयताें में साेच-विचार करें, और ताकि अक्ल वाले नसीहत
हासिल करें।
30- और ’हमने’ दाऊद काे सुले ान प्रदान किया, वह
कितने अच्छे बन्दे थे, बहुत रूजूझ रहने वाले थे।
31- जब उनके सामने शाम के वμक्त सधे हुए तेμज
दाैड़ने वाले घाेड़े हािμजर किये गये;
32- ताे कहने लगे, ’’मैंने अपने ’रब’ की याद पर (इन
, घाेड़ाें की मुहब्बत अर्थात) माल की मुहब्बत अख्तियार की,
यहाँ तक कि (सूरज) पर्दे में छिप गया,
33- (बाेले) उनकाे मेरे पास वापस लाओ! ि\र वह
उनकी पिडुंलियाें और गर्दनाें पर हाथ ेरने लगे।‘’
34-और ’हमने’ सुले ान काे भी इम्तिहान में डाला, .
और ’हमने’ उनके तख्त पर एक धड़ डाल दिया, ि\र वह
रूजूअ हुए;
35- कहा, ’’ऐ रब! मुझे मा\ कर दे और मुझे वह ,
राज्य दे, जाे मेरे बाद किसी काे मुनासिब (अर्थात उपयुक्त)
न हाे बेशक, ’तू ही’ बड़ा दाता है।‘’
36- ि\र ’हमने’ हवा काे उनके काबू में कर दिया, जाे
उसके हुक्म से, धीरे-धीरे चलती, जिधर का वह इरादा
करते;
37- और शैतानाें काे भी (उसके काबू में कर दिया) हर
प्रकार के निर्माता और गाेता खाेर काे;
38- और दूसरे काे भी जाे μजंजीराें में जकड़े हुए थे;
39- यह ’हमारी’ बेहिसाब देन है, अब एहसान कराे या
राेक लाे;
40- और बेशक, उन (सुले ान) के लिए ’हमारे’ यहां
मर्तबा और अच्छा ठिकाना है।
41- और ’हमारे’ बन्दे, अय्यूब, काे याद कराे, जब
उन्हाेंने अपने ’रब’ काे पुकारा, ’‘शैतान ने मुझे तकली\
पहुँचा रखी है।‘
42- (हमने कहा) ‘’अपना पैर μजमीन पर माराे, यह
ठंडा पानी है नहाने के लिए भी और पीने के लिए भी।‘’
43- और ’हमने’ उनकाे और उनकी पत्नी, और उनके
साथ उतने ही और भी अता किये, अपनी रहमत के ताैर पर
और (यह) समझ रखने वालाें के लिए नसीहत थी।
44- ’‘और (’हमने’ अय्यूब से कहा) तिन्काें का एक
गुच्छा अपने हाथ में लाे और (अपनी बीवी काे) उससे माराे
और कसम न झूठी हाेने दाे।‘’ बेशक ’हमने’ उनकाे (अय्यूब
काे) सब्र करने वाला पाया, बहुत अच्छे बन्दे थे, बेशक वह
रूजूअ (इबादत) करने वाले थे।
45- और ’हमारे’ बन्दे! इब्राहीम, इस्हाक और याकूब
काे याद कराे, जाे ताकत वाले और गहरी निगाह वाले थे।
46- ’हमने’ उनकाे एक खास बात के लिए चुना था जाे
वास्तविक घर (आखिरत) की याद थी।
47- और वे ’हमारे’ यहां चुने हुए नेक लाेगाें में से थे।
48- और इस्माईल, और अल्-यसअ,और जुलकि्ल
काे भी याद कराे, वे सब भले लाेगाें में से थे।
49- यह यादगारें है, और परहेμजगाराें के लिए अच्छा
ठिकाना है-
50- हमेशा-हमेश की जन्नतें, जिनके दरवाμजे उनके
लिए खुले हाेंगे।
51- उनमें तकिये लगाए बैठे हाेंगे, बहुत से मेवे और
शराब (पीने की चीजें) मंगवा रहे हाेंगे;
52- और उनके पास नीची निगाह वाली हमउम्र (औरतें)
हाेंगी-
53- यह है वह चीμज, जिसका तु से हिसाब के दिन के
लिए वादा किया जा रहा था।
54- यह ’हमारा’ रिज्क (राेμजी) है, जाे कभी ख़त्म
हाेने वाला नहीं।
55- यह (बदला) है और सरकशाें के लिए बुरा ठिकाना
है-
56- जहन्नम- जिसमें वे दाखिल हाेंगे, ताे वह कितना
बुरा ठिकाना है;
57- यह है उनके लिए, ताे वे इसका मμजा चखें, खाैलते
हुए पानी और पीप का;
58- और इसी तरह की दूसरी चीजाें का (अμजाब हाेगा)।
59- ‘’यह एक ाैज है जाे तुम्हारे साथ दाखिल .
हाेगी, इनकाे खुशी न हाे ये ताे आग में पड़ने वाले हैŸ।’’
60- कहेंगे, ‘’बल्कि तु ही काे खुशी न हाे तुम्हीं ताे
इसे हमारे आगे लाए हाे, ताे (यह) बुरा ठिकाना है।‘’
61-वे कहेंगे, ऐ रब! जिन लाेगाें ने हमें इस अंजाम तक
पहुँचाया है, उसकाे आग (जहन्नम) में दाेहरा अμजाब दे!‘’ .