बिस्मिल्लाहिर्र रहमानिर्रहीम की फजिलत
जिन्नात से सामान की हिाजत का तरीका : हजरते
सय्यिदुना सफ्वान बिन सुलै रहमतुल्लही ताला अलैही
\रमाते हैं, ‘‘इन्सान के साजाे सामान और मल्बूसात काे
जिन्नात इस्ति’ माल करते हैं । लिहाजा तु में से जब काेई
शख्स कपडा (पहनने के लिये) उठाए या (उतार कर) रखे
ताे ‘‘बिस्मिल्लाह शरी\’’ काे पढ लिया करे । इस के लिये
अल्लाह तआला का नाम माेहर हैं ।’’ (या’नी बिस्मिल्लाह
पढने से जिन्नात उन कपडाें का इस्ति’माल नहीं करेंगे।)
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयाे ! इसी तरह हर चीज रखते
उठाते बिस्मिल्लाही रहमानिरहीम पढने की आदत बनानी
चाहिये ।शरीर जिन्नात की दस्त बुर्द से हिाजत हासिल
हाेगी ।
बिस्मिल्लाह दुरुस्त पढिये पढने में दुरुस्त मखारिज से
हुरु\ की अदाएगी लाजिमी हैं । और कम अज कम इतनी
आवाज भी जरुरी है कि रुकावट न हाेने की सूरत में अपने
कानाें से सुन सके । जल्द बाजी में बाज लाेग हुरु\ चबा
जाते हैं । जान बूझकर इस तरह पढना मखरूह है और
माना ासिद हाेने की सूरत मे गुनाह है। लिहाजा जल्दी
जल्दी पढने की आदत की वज्ह से जाे लाेग गलत पढ
डालते हैं वाेह अपनी इस्लाह कर लें नेज जहां पूरी पढने
की काेई खास वज्ह माैजूद न हाे वहां र्सि\ ‘‘बिस्मिल्लाह’’
कह लें तब भी दुरुस्त हैं ।
खल्बली मच गई :
हजरते सय्यिदुना जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने \रमाया,
‘‘जब (बिस्मिल्लाहिर्र रहमानिर्रहीम) नाजिल हुई ताे बादल
मशरिक की सिम्त दाैडे, हवाएं साकिन हाे गईं समुन्दर
जाेश में आ गया, चाैपायाें ने गाैर से सुनने के लिये अपने
कान लगा दिये और शैतानाें काे आस्मानाें से पथ्थर मारे
गए और अल्लाह जल्लेजलालने \रमाया, ‘‘मुझे मेरी इज्जते
जलाल की कसम ! जिस शै पर पढी गई मैं उस में बरकत
दूंगा ।’’
पारह 19 सूरतुल ’नमल’ की तीसवीं आयत का हिस्सा
भी हैं और कुरआने मजीद की पूरी आयते मुबारका भी जाे
कि दाे सूरताें के माबैन ासिले के लिये उतारी गई ।
बिस्मिल्लाह की अहमियत :
अल्लाह ने बाज अबिंया पर सहाइ\ और कुतुब नाजिल
\रमाई जिन की तादाद 104 है । इन में से 50 सहीे
हजरते सय्यिदुना शीस आला नबीयना व अलैही सलातू व
सलाम) पर, 30 सहीे हजरते सय्यिदुना इब्राहीम पर,
10 सहीे हजरते सय्यिदुना मूसा कलीमुल्लाह पर ताैरात
शरी\ उतरने से कब्ल नाजिल हुए नेज ये चार बडी किताबें
नाजिल हुईं : (1) ताैरात शरी\ हजरते सय्यिदुसा मूसा
कलीमुल्लाह पर । 2) जबूर शरी\ हजरते सय्यिदुदा दावूद
पर । 3) इन्जीले मुकद्दस हजरते सय्यिदुना ईसा रुहुल्लाह
पर और 4) कुरआने मजिद माेहमंद सल्लालाहु अलैहु सल्लम
पर । इन तमाम किताबाें और जुम्ला सहाइ\ का म\हू
और मजामीन कुरआने मजीद में और सारे कुरआने मजीद
का मजमूआ सूरए ातिहा में, और सूरए ातिहा का सारा
मजमूआ इस के र्ह\ ’ब’ में माैजूद हैं,
‘‘बिस्मिल्लाह’’ कहना कब कु्र हैं ? :
हराम व ना जाइज काम से कब्ल बिस्मिल्लाह शरी\
हरगिज हरगिज, हरजिग न पढी जाए कि ‘‘\तवा
आलमगीरी’’ में हैं, ‘‘शराब पीते वक्त, जिना करते वक्त, या
जूआ खेलते वक्त ‘‘बिस्मिल्लाह’’ कहना कु्र हैं ।
ि\रिश्ते नेकियां लिखते हैं :
हजरते सय्यिदुना अबू हुरैरा रजि. से रिवायत है कि
सरकारने मदीना, सुल्ताने बा करीना, करारे कल्बाे सीना
ैज गन्जीना, साहिबे मुअत्तर पसीना, बाइसे नुजूले सकीना
स. वस ने इर्शाद \रमाया, ‘‘ऐ अबू हुरैरा रजि! जब तु
वुजू कराे ताे बिस्मिल्लाह व अलहमदुलिला कह लिया कराे
जब तक तुम्हारा वुजू बाकी रहेगा उस वक्त तक तुम्हारे
ि\रिश्ते (यानी किरामन कातिबीन) तुम्हारे लिये नेकियां
लिखते रहेंगे ।